STORYMIRROR

तपस्विनी शबरी

तपस्विनी शबरी

1 min
506



पल पल मार्ग निहारती, शबरी भक्तन महान।

राम का नाम जिव्हा पर, न समय का भान ।।


श्वास-श्वास श्रीराम को, कर दी जिसने समर्पित ।

सुदृढ साध्वी के भेष में , किए जो जीवन तप्त।।


श्रमणा से शबरी बनी , है तपस्वनी श्रीराम की।

आस एक श्रीराम से , शिष्या ऋषि मतंग की ।।


मार्ग पुष्पों से शोभित, नित प्रभु मिलन की आस।

कानों में प्रभु घोष गूंजे,मन में लिए दृढ़ विश्वास ।।


नेत्र सजल दर्शन को आतुर मन, ऊपर प्रचण्ड रवि।

भक्ति की शक्ति जगे, सामने प्रभु की युगल छवि ।।




Rate this content
Log in