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Raj sharma

Abstract

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Raj sharma

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श्रीराम नवमी

श्रीराम नवमी

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हुई धरा पाप से बोझिल, तब श्रीराम लिए अवतार।

नगरी अयोध्या शोभित, नमन है राम को बारम्बार।।


नारायण नर तन धरे, धाम अयोध्या भए जगमग।

चहुं दिश बांटे ख़ुशियाँ, दशरथ के भाग गए जाग।।


अल्प काल विद्या पाए, चारों कुमार गुणों की खान।

आदर्शों की परमकाष्टा, तभी राम की जग में शान।।


अखिल ब्रह्मांड के नायक, है मानवों में जो उत्तम ।

कार्य सब मर्यादित किए, कहलाए तभी पुरुषोत्तम।।


अभिनय एक से अनेक है , पुत्र शिष्य रण में धीर ।

चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को, जन्म लिए तब रघुवीर।।


पितु आज्ञा किए शिरोधार्य, गए वनवास भू तारी।

तीर्थ बने जहां चरण पड़े , नारायण के है अवतारी।


जीवन नैया पार लगाए, दिव्य छवि से जग को मोहे, 

त्याग की मूर्त मनभावन, ऐसे श्री राम हर युग होये ।।


आदर्शों में जीवन सारा, श्री राम नाम है अति प्यारा।

जीवन जो सरस् बनाए, महिमा है शतकोटी अपारा।।



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