इस धुँएँ को नासिका में भर लूँ तो साँसें चले। इस धुँएँ को नासिका में भर लूँ तो साँसें चले।
इंसान का रूप धरे, मानो दानव कोई इंसान का रूप धरे, मानो दानव कोई
अदृश्य दरवाज़ों,खिड़कियों से दाख़िल हो जाता घरों में एक डर , रूप बदल बदल कर। अदृश्य दरवाज़ों,खिड़कियों से दाख़िल हो जाता घरों में एक डर , रूप बदल बदल कर।
अगणित जाने निगल गया , गमगीन विश्व का हर कोना अगणित जाने निगल गया , गमगीन विश्व का हर कोना
आवाज़ें मतलब की हो जाती हैं, न सुनने पर बेमतलब ही रह जाती हैं आवाज़ें मतलब की हो जाती हैं, न सुनने पर बेमतलब ही रह जाती हैं