मेरी चाहत ये सच्ची है ना कोई भी फसाना है। तुम्हें पाया तो जाना ये मुहब्बत ही खजाना है। मेरी चाहत ये सच्ची है ना कोई भी फसाना है। तुम्हें पाया तो जाना ये मुहब्बत ही ...
मैं अभी भी ज़िंदा हूँ क्योंकि मैं मरना नहीं चाहती मुर्दों के शहर में सड़ी-गली परंपराओं के बीच मैं अभी भी ज़िंदा हूँ क्योंकि मैं मरना नहीं चाहती मुर्दों के शहर में सड़ी-ग...
यादों की किसी एक डायरी में कई दिनों पहले अपने ही लिखे, जो पन्ने थे उन्हें पढ़ता रहा यादों की किसी एक डायरी में कई दिनों पहले अपने ही लिखे, जो पन्ने थे उन्हें...
खुले इरादे थे कुछ सपने भोले भाले थे खुले इरादे थे कुछ सपने भोले भाले थे
सिवाय किताबों के और कुछ भी ना हो सिवाय किताबों के और कुछ भी ना हो
आज फिर मेरे कमरे के सन्नाटे ने एक अंगडाई सी तोड़ी है, आज फिर मेरे कमरे के सन्नाटे ने एक अंगडाई सी तोड़ी है,