सारी ज्ञान की चादर गूगल महाराज ओढ़े बैठे हैं। सारी ज्ञान की चादर गूगल महाराज ओढ़े बैठे हैं।
किताबों से अच्छा और सच्चा दोस्त कोई और नहीं होता किताबों से अच्छा और सच्चा दोस्त कोई और नहीं होता
वो 'आंचल 'जहां मिलते थे सुकून के ढेर सारे पल सोचता हूं फिर,मां तुम कहां ? वो 'आंचल 'जहां मिलते थे सुकून के ढेर सारे पल सोचता हूं फिर,मां तुम कहां ?
जरूर तुमसे मेरा कोई रूह का ही रिश्ता है शायद ! जरूर तुमसे मेरा कोई रूह का ही रिश्ता है शायद !
सिवाय किताबों के और कुछ भी ना हो सिवाय किताबों के और कुछ भी ना हो
बेवजह महकता गुलाब हूँ मैं बेवजह महकता गुलाब हूँ मैं