वो 'आंचल 'जहां मिलते थे सुकून के ढेर सारे पल सोचता हूं फिर,मां तुम कहां ? वो 'आंचल 'जहां मिलते थे सुकून के ढेर सारे पल सोचता हूं फिर,मां तुम कहां ?
फकत रखना भ्रम बस मोहब्बतों का.. कर देना मुआफ, हर कुफ्र बदगुमानों को..!! फकत रखना भ्रम बस मोहब्बतों का.. कर देना मुआफ, हर कुफ्र बदगुमानों को..!!
आज कल सांप से ज्यादा ज़हरीले लोग, पक्के मकानों में मिलते हैं। आज कल सांप से ज्यादा ज़हरीले लोग, पक्के मकानों में मिलते हैं।