तुम्हें पाया तो जाना ये(ग़ज़ल)
तुम्हें पाया तो जाना ये(ग़ज़ल)
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मेरी चाहत ये सच्ची है ना कोई भी फसाना है।
तुम्हें पाया तो जाना ये मुहब्बत ही खजाना है।।
तुम्हारे प्यार के खातिर जहां मे जी रहे हैं हम,
खुशी हरपल तुम्हें देगे तुम्हीं पे जाँ लुटाना है।
ग़मों से दूर रहकर जहाँ खुशियाँ ही खुशियाँ हों,
मेरे अरमान ये दिल के वही तुमको बसाना है।
मुहब्बत के कमरे में तुम्हें यूँ कैद कर लूँगा,
है चाहत 'देव' की ऐसी ओ तेरा ही दीवाना है।