बेटियाँ है घर की इज्जत
बेटियाँ है घर की इज्जत
दुनिया ने भला ये कैसी अजब रीति बनाई है।
बेटियाँ है घर की इज्जत फिर क्यों पराई?
बेटी- ना तुझसे को शिकवा ना कोई गिला माँ,
माँगा था प्यार जितना उससे ज्यादा मिला माँ,
मै तेरी थी परछाई पीछा क्यो छुड़ाई है ?
माँ- मेरी हर खुशी मेरा संसार है तू,
मेरे चमन की सबसे अच्छी बहार है तू,
मुझको भी है निभानी जो हर माँ निभाई है।
बेटी - मिलता था बिन माँगे कितना दुलार पापा,
सर पे चढा रखा था इतना था प्यार पापा,
पापा की हूँ प्रिंसेज आज क्यूँ भुलाई है ?
पिता - क्या बीतती है मुझ पर तुझको नहीं पता,
क्या हाल मेरे दिल का ये कैसे दूँ बता,
दिल चाहता नहीं पर करनी विदाई है।
