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Dev Faizabadi

Drama

3  

Dev Faizabadi

Drama

बेटियाँ है घर की इज्जत

बेटियाँ है घर की इज्जत

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दुनिया ने भला ये कैसी अजब रीति बनाई है।

बेटियाँ है घर की इज्जत फिर क्यों पराई?


बेटी- ना तुझसे को शिकवा ना कोई गिला माँ,

माँगा था प्यार जितना उससे ज्यादा मिला माँ,

मै तेरी थी परछाई पीछा क्यो छुड़ाई है ?


माँ- मेरी हर खुशी मेरा संसार है तू,

मेरे चमन की सबसे अच्छी बहार है तू,

मुझको भी है निभानी जो हर माँ निभाई है।


बेटी - मिलता था बिन माँगे कितना दुलार पापा,

सर पे चढा रखा था इतना था प्यार पापा,

पापा की हूँ प्रिंसेज आज क्यूँ भुलाई है ?


पिता - क्या बीतती है मुझ पर तुझको नहीं पता,

क्या हाल मेरे दिल का ये कैसे दूँ बता,

दिल चाहता नहीं पर करनी विदाई है।


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