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Sapna K S

Romance

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Sapna K S

Romance

नींद....

नींद....

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सुनो ना.....

तुम कब आओगी....

मैं इंतजार करता रहता हूँ तुम्हारा, रात-रात जागकर...

पर तुम हो कि,आने का नाम ही नहीं लेती...

ना जाने हर कैसे जवान होकर आवारगी करती रहती हो..

कभी तो उम्र की दहलीज से उतर कर ,

मेरी बाहों में सिमट कर देखो...

कस्स कर दबोच लूँगा तुम्हें...बहुत नखरें दिखाती हो ना...

सुना हैं चाँद संग नजरे लड़ाने लगी हों...

हर किसी को अब सिर्फ ललचाती हो तुम,

देखो यूँ आवारगी अब ठीक नहीं लगती,

तुम भी तनहा हो मेरे ही तरह..

तो मुझमे ही बहक जाओ तुम भी...

देखो..फिर मुहब्बत की मेरी इंतहा...

हाँ ..सुबह तो क्या ...फिर ना कभी आँख खोलूँ मैं...

सिर्फ तुम्हारा...हाँ सिर्फ तुम्हारा....।


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