STORYMIRROR

Sapna K S

Drama

4  

Sapna K S

Drama

दुबारा...

दुबारा...

2 mins
392

कैसे कहूँ तुमसे दिल के हर वो लफ्ज

जिसे सुनने पर

तुम कहा करते हो 'तुम्हें सिर्फ अपना ही दर्द दिखता हैं ',

खुद की बात ही हो कहती, मेरे कहे को ना समझती,

तुम सुन तो लेते हो हर बात

लेकिन

उन बातों में तुम्हें मेरी तकरार ही नजर हैं आती ,

तुम्हें अब अपना कह कर पुकारना भी चाहूँ तो,

मेरी बातों को बकवास मान अपने ही कानों को बंद कर लिए हैं तुमने,

हर बात हर बार कही हैं मैंने

लेकिन

मुझे लोगों से मिलने का सलीका नहीं हैं ,यही कहा हैं तुमने

तुम्हारी हर बात सही साबित करते करते

हर बार मेरे स्वाभिमान को अहंकार का नाम देकर ठुकराया हैं मेरे आँसुओं को..

मैं वो ना रहीं जो तुमने सोचकर अपनाया था मुझे,

मेरे सही को भी गलत साबित कर सुनाया हैं तुमने

मुझमें कुछ सुन लेने की क्षमता तुमको तो दूर दूर तक नजर ही नहीं आती..

चुप रहकर सब सह लूँ तो मैं हो जाती गुणी

जवाब पर जवाब पाकर मुझसे, विद्रोही की छवि बना कर ही अपने नजरीयों से परखा हैं मुझे..

तुम पल को प्यार दिखाते तो हो,

पर आँखों में वो प्यार रहा ही नहीं,

एक दूसरे संग ऐसे जी रहे हैं,

जैसे बस अब जीना ही रहा हैं बाकी ...

लेकिन इब मैं थक चुकी हूँ खुद से

भागते - भागते यहाँ तक तो आ पहुँची हूँ सबसे

इब तुम भी चुबते हो सब जैसे

फिर भी तुमसे खुद को लिपट हैं लिया

फिर

सोचा हैं इब सुधारूँ क्या, जो सुधरेगा,

इस लिए खुद को ही खामोश कर

ले लिया हैं दुबारा....



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama