STORYMIRROR

Amit Singhal "Aseemit"

Drama Tragedy

4  

Amit Singhal "Aseemit"

Drama Tragedy

रिसती सी यादों से

रिसती सी यादों से

1 min
13

रिसती सी यादों से पिरा पिरा उठना मन का कोना कोना।

बरसों के बाद उसी सूने से आँगन में जाकर चुपचाप खड़े होना।


कैसे भूलूं मैं अपना पहला घर, वह मेरा प्यारा सुंदर सा मायका।

अपने पापा के दुलार का स्वाद और अपनी माँ के लाड़ का ज़ायका।


कैसे भूलूं गुड्डे गुड़िया के खिलौने और उनकी शादी के खेल।

बड़े बड़े सुखों का इन छोटी छोटी यादों से नहीं है कोई मेल।


अपनी सखी सहेलियों के संग बिंदी लिपस्टिक लगाकर संवरना सजना।

रंग बिरंगे चोली, लहंगा, चूड़ी, कंगन पहन कर मटक मटक कर चलना।


अपनी हर ज़िद पूरी करवाने के लिए पापा के सामने रोना धोना।

दिन भर तरह तरह के खेल खेलकर माँ की गोद में सिर रखकर सोना।


जिस घर पैदा हुई और सारा बचपन पढ़ लिखकर खेल कूदकर गुज़ारा।

अब इस घर से परायी हो जाऊंगी और जल्दी से आना न होगा दोबारा।


विदाई के समय लाल जोड़े और मेहंदी लगे हाथों की मजबूरी।

बचपन के आँगन और उसकी यादों से कर देती है बड़ी दूरी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama