जब तुम लिखती हो
जब तुम लिखती हो
मेरे नाम रूमानी ख़त जब तुम लिखती हो।
ख़तो के अल्फ़ाज़ों में तुम ही दिखती हो।
तुम्हारे ख़तों में तुम्हारे सवाल जज़्बात हैं।
फिर मेरे दिल से आए जवाब की बात हैं।
तुम लिखती हो कि अपना ध्यान करना।
तुम्हारे प्यार में ही मुझे जीना और मरना।
तुम लिखती हो मुझसे तुम्हारी ज़िंदगी है।
तुम से मेरी सुबह और शाम की बंदगी है।
ख़त का हर लफ़्ज़ जैसे दिल का टुकड़ा।
तुम्हारी लिखाई में दिखे तुम्हारा मुखड़ा।

