तुम चुनो
तुम चुनो
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भगवान ने हम दोनों संग खेल यूँ रचाया।
अजनबियों को एक दूजे से क्यूँ मिलाया।
उसका हमें इशारा था कि कुछ सपने बुनो।
कभी मैं तुमको चुनूँ और मुझको तुम चुनो।
ज़िंदगी के सफ़र में अपना हमसफ़र मानो।
सफ़र ज़रा भी आसाँ नहीं रहेगा यह मानो।
हर मुश्किल फ़ैसले में मैं तुम्हारा साथ दूंगा।
ज़िंदगी का हर ज़ुल्म सीने पर मैं झेल लूंगा।
एक दिन तुम्हें अहसास होगा तुम सही थीं।
जब तुम्हारे दिल ने मुझे चुनने की कही थी।
