काला साया
काला साया
बचपन से जिस भूतिया जंगल के बारे में सुनता आ रहा था।
जवानी में उस जंगल की पगडंडी पर आज चलता जा रहा था।
किसी काम की मजबूरी में मुझे दूसरे गाँव तक आना था।
वहाँ पहुंचने के लिए भूतिया जंगल को पार करके जाना था।
बचपन में सुना था इस जंगल में बहुत सारे भूत प्रेतों का बसेरा है।
इसके हर मोड़ पर और इसके हर पेड़ पर काले सायों का डेरा है।
मेरे क़दम डरते सहमते हुए स्याह अंधेरे रास्ते पर बढ़ रहे थे।
मेरा रक्तचाप और मेरे दिल की धड़कन दोनों ही चढ़ रहे थे।
तभी अचानक एक काला साया मेरे सामने आकर ही खड़ा हो गया।
देखते ही देखते उस साये का आकार बढ़ते बढ़ते काफ़ी बड़ा हो गया।
उस काले साये के थे लंबे लंबे दाँत और थे बड़े बड़े से नाख़ून।
उसकी बड़ी बड़ी आँखें, जिनका रंग था सुर्ख़ लाल जैसे ख़ून।
उसको अचानक देखकर मेरे शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो गए।
मुझे डर से काँपते हुए देखकर काले साये के हौसले बड़े हो गए।
उसका इरादा था कि वह मेरे शरीर के अंदर प्रवेश कर जाएगा।
फिर काला साया जो चाहेगा, अपनी भरपूर मनमानी कर पाएगा।
मैंने गले में लटकी हनुमानजी की तस्वीर को उस साये के सामने कर दिया।
हनुमानजी की तस्वीर देखकर काले साये ने उल्टे पाँव भागना शुरू किया।
बचपन में अपने पिताजी की सिखाई एक सीख को मैंने आज याद किया।
हनुमानजी, हिम्मत और हौसले ने हर भूत प्रेत के साये को बर्बाद किया।

