इंसान ये गलती करता है
इंसान ये गलती करता है
इंसान ये गलती करता है
जो चले गए हैं
उनके लिए पछताता है
जो हैं उन्हे नज़र-अंदाज़ कर देता है
जो चलें गए हैं उन्हें खुश करने के चक्कर में
जो हैं उनसे मुह फेर लेता है
ऐसे में वो सब को दुखी कर देता है
ऐसा करके
खुदको सबसे अधिक तकलीफ पहुँचाता है
चाहके भी फिर रिश्तों को वो नहीं जोड़ पाता है
जिंदगी तो नहीं थमती
बस वही थम सा जाता है
ऐसे में
उस इंसान को वो सबसे दुखी पाता है
जिसे वो सबसे ज्यादा खुश करना चाहता है
खुद को खुद के खुशियों से
अलग कर बहुत पछताता है।