एक आवाज़
एक आवाज़
अगर आता है तो क्यों
इंसान जाता है तो क्यों
इस अगर-मगर के झमेले में
खुद को पाता है तो क्यों
दिन, महीने, साल
मन में एक ही सवाल
इंसान आता है तो क्यों
इंसान जाता है तो क्यों
एक आवाज़ कहती है
न कोई आता है
न कोई जाता है
मेरी ही रचना है
मेरी ही माया है
