मज़ाक
मज़ाक
मज़ाक बना दिया ज़िंदगी ने,
मज़ाक बना दिया ज़िंदगी ने
अब ज़िंदगी को मज़ाक में ले रहा...
मज़ाक-मज़ाक में जी रहा,
मज़ाक-मज़ाक में मर रहा,
मज़ाक में सब कुछ चल रहा...
शायराना मिजाज था
कमबख्त जालिम समझ लिया गया
समझने का मौका भी न मिला
और न ही समझाने का मौका दिया गया
मज़ाक जिंदगी को ले गया
जी गया, मर गया...