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Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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अनोखा राज्य

अनोखा राज्य

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एक अलग राज्य का निर्माण हो,

ईर्ष्या द्वेष का नही कोई स्थान हो,

प्रेम पुरित सभी रहे वहाँ संग में,

दुख तकलीफ का नही स्थान हो।


नही वहाँ अमीरी गरीबी की लड़ाई हो,

नही हो धर्म जाति की कोई भी खाई हो,

बस सब एक दूसरे के संग हिम्मत बन रहे,

नही शब्दों का रूखापन और कड़ाई हो।


नही अपनी बात रखने में घबड़ाहट हो,

अपनेपन की हर कदम पर आहट हो,

उस राज्य में सब एक दूसरे के लिए हो,

नही मन में कोई भी छटपटाहट हो।


हर तरफ खुशियाँ और बहार हो,

रोज ही लगे ऐसा की कोई त्योहार हो,

एक दूजे की उन्नति में सब हाथ थामे खड़े,

बस दिल से निकलती दुआ और प्यार हो।


उस राज्य में नही विकास की अंधी होड़ हो,

आपसी एकता का नही मिले कोई तोड़ हो,

रिश्तों में आपसी विश्वास और समर्पण हो,

बस भावनाओं और एहसासों का जोड़ हो।


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