STORYMIRROR

Ritu Dahate

Abstract

4  

Ritu Dahate

Abstract

प्रकृति

प्रकृति

1 min
233

माँ की तरह हम पर प्यार लुटाती है प्रकृति 

बिना मांगे हमें कितना कुछ देती है प्रकृति 


दिन में सूरज कि रोशनी देती है प्रकृति 

रात में शीतल चाँदनी लाती है प्रकृति 


धरती के जल से प्यास बुझाती हैं प्रकृति 

बारिश में रिमझिम जल बरसाती है प्रकृति 


दिन रात हवा से जान से बचाती है प्रकृति 

मुफ़्त में ढेरों साधन देती है प्रकृति 


कहीं रेगिस्तान तो कहीं बर्फ बिछा रखी प्रकृति 

कहीं पर्वत खड़े है तो कहीं नदियाँ बहा रही है प्रकृति 


कहीं खाई तो कही बंजर जमीन बिछा रखी है प्रकृति 

कहीं फूलों कि वादियां तो कहीं हरियाली कि चादर बिछायी है प्रकृति 


भू, धरा, धरती, भूमि कितने नाम है प्रकृति 

मानव इसका उपयोग करे उसे कोई एतराज नहीं है 

पर जब जब उसकी उपयोगिता को नजर अंदाज करता

तब तब सजा देती है प्रकृति 



రచనకు రేటింగ్ ఇవ్వండి
లాగిన్

Similar hindi poem from Abstract