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Ritu Dahate

Abstract

4.5  

Ritu Dahate

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प्रकृति

प्रकृति

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माँ की तरह हम पर प्यार लुटाती है प्रकृति 

बिना मांगे हमें कितना कुछ देती है प्रकृति 


दिन में सूरज कि रोशनी देती है प्रकृति 

रात में शीतल चाँदनी लाती है प्रकृति 


धरती के जल से प्यास बुझाती हैं प्रकृति 

बारिश में रिमझिम जल बरसाती है प्रकृति 


दिन रात हवा से जान से बचाती है प्रकृति 

मुफ़्त में ढेरों साधन देती है प्रकृति 


कहीं रेगिस्तान तो कहीं बर्फ बिछा रखी प्रकृति 

कहीं पर्वत खड़े है तो कहीं नदियाँ बहा रही है प्रकृति 


कहीं खाई तो कही बंजर जमीन बिछा रखी है प्रकृति 

कहीं फूलों कि वादियां तो कहीं हरियाली कि चादर बिछायी है प्रकृति 


भू, धरा, धरती, भूमि कितने नाम है प्रकृति 

मानव इसका उपयोग करे उसे कोई एतराज नहीं है 

पर जब जब उसकी उपयोगिता को नजर अंदाज करता

तब तब सजा देती है प्रकृति 



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