प्यार और बारिश
प्यार और बारिश
आज कि पहली बारिश में खुब भीगे
भीग कर भी देख लिया
कि कहीं प्यार मिल जाये
सूखे होंठ भीग जाये कहीं
पर देख लिया
आंखों फिर एक बार भीग गयी
लेकिन प्यार कि प्यास न मिटी
खो जाना चाहा हमने भी आज कि बारिश में
जैसे खोये है प्यार में खुद को
फिर बारिश भी बोल पड़ी मुझे से
नहीं दे पाऊंगी वो प्यार तुझे
जिसकी चाहत में तू खोयी है
जिसमें तेरी खुशी समायी है..
बारिश भी रो कर बोल पड़ी मेरी तन्हाई पर
तेरा प्यार तेरा ही है
कोई और नहीं दे सकता तुझे उससे ज्यादा प्यार
इस जहां में मांग ले अपना प्यार सदा के लिये
अपनी इच्छा को मत मार यहाँ
भीगा जाने दे उनके ही प्यार में खुद को
मैं भी नहीं भीगा पाऊंगी इतने बरस जाने पर भी....
