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Ritu Dahate

Abstract

4.5  

Ritu Dahate

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प्यार में खालीपन

प्यार में खालीपन

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कभी था हर पल कोई हमारे लिए भी

था वक्त की उस भी वक्त भी नहीं गुजरता था


अब तो सुबह भी कब हो जाती शाम भी ढल जाती है

बस नहीं हटती तो चहरे की मायूसी


एक सुबह थी जो हँसी से शुरू होकर

हमसफर के साथ शाम ढल जाया करती थी।


अब तो लगता है कोई अपना है ही नहीं

और सच भी यही है अपना कोई नही है सब हमारा भ्रम है


कहने को बहुत है की हम आपके हैं

आपकी खुशी ही हमारी खुशी हो 


पर सच ये है उनकी खुशियों को वजह कोई और है

उनकी दुनियां हमारी दुनिया से अलग है


शायद हमसे ही कोई भूल हो गई

जो येसी सुबह लेकर आई जिन्दगी कही


हमको ना मिले वो तो गुस्सा आता है रूठ जाते 

पर हर कोई मानने आए जरूरी तो नहीं 

हर दर्द का एहसास किसीको हो जरूरी तो नहीं।


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