आस्तीन के साँप
आस्तीन के साँप
ये जो आस्तीन के साँप हमने पाले हैं।
हमें ही डस चुके हैं कुछ डसने वाले हैं।
जिनको समझा था रौशनी करने वाला।
हमारे घर में वही अंधेरा करने वाले है।
छलनी कर गए वही मेरी पीठ अक्सर।
जिनको समझा था अपने प्यार वाले हैं।
जिनसे की मरहम लगाने की उम्मीद।
जख्म उनके ही अभी तक हमने पाले हैं।
प्यार करते हैं अभी भी दिल से हमें।
दिखावा है उनका स्वार्थ बड़े वाले हैं
'सुओम' सोचता है एक बात तन्हाई में।
कितने लोग हैं जो सच्चे प्यार वाले हैं।