जब रिश्ते तिजारत बन जाते हैं जब रिश्ते तिजारत बन जाते हैं
ज़िंदगी में नहीं है कुछ मजा भी....। ज़िंदगी में नहीं है कुछ मजा भी....।
मार तो सही , ऐ यार मेरे, चाहे आंखों के वार या तलवार की तरह तू। मार तो सही , ऐ यार मेरे, चाहे आंखों के वार या तलवार की तरह तू।
प्रताड़ना की इंतेहाँ से काँपती आग भी उगलूँ जब उलाहनों से रौंदी जाऊँ प्रताड़ना की इंतेहाँ से काँपती आग भी उगलूँ जब उलाहनों से रौंदी जाऊँ
फिऱ देख वो तुझे देखकर शर्मिंदा होता कि नहींं है। फिऱ देख वो तुझे देखकर शर्मिंदा होता कि नहींं है।
ना जाने वो कैसे उस दर्द को छुपाता है वो गिड़गिड़ा के भी ठंडा क्यों पड़ जाता है उसकी आँखें सच्चाई ... ना जाने वो कैसे उस दर्द को छुपाता है वो गिड़गिड़ा के भी ठंडा क्यों पड़ जाता है ...