STORYMIRROR

Bhavna Thaker

Inspirational

3  

Bhavna Thaker

Inspirational

हर हुनर रखती हूँ

हर हुनर रखती हूँ

1 min
250

मीठा ही निकलेगा मुँह से जब तक

सामने से शहद की बारिश बरसेगी 

छंट जाएगा, घुल जाएगा वो मीठा झरना 

जब चारों दिशाओं से नीम रस की

नदियाँ बहेगी


एक मासूम दिल की नाव तैरती है

स्त्री के अस्तित्व के समंदर में 

चंदन बन के समिध सी सुगंधित

भी ठहरी

खुद प्रेम हूँ  


समूची सृष्टि को गले लगा लूँ

प्रेम की चरम जो पाऊँ 

प्रताड़ना की इंतेहाँ से काँपती

आग भी उगलूँ जब उलाहनों

से रौंदी जाऊँ,

मत समझना कमज़ोर, बेबस, लाचार

स्त्री के ज़हन में एक नागिन भी बसती है

फुंफकार तो जानूँ ही जानूँ 

शहद की परत के नीचे विष को भी

छुपाना जानूँ 

डसने की फितरत नहीं 

सताई जाऊँ तब कुचलने

का हुनर भी जानूँ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational