Jitendra sharma
Others
दिल पर लोटते हैं साँप,
जब रिश्ते तिजारत बन जाते हैं
थे जो कभी ख़ास शागिर्द,
देखते ही देखते रक़ीब बन जाते हैं
तिजारत
बेटी, चाय ठंड...
ज़िहाद
क्या करूँ आखि...