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Jitendra sharma

Tragedy Others

5.0  

Jitendra sharma

Tragedy Others

बेटी, चाय ठंडी हो रही है

बेटी, चाय ठंडी हो रही है

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हर सुबह देर से जागना,

थी उसकी फितरत 

सुबह की नींद का लुत्फ़

उठाना, थी उसकी आदत 

माँ आकर ठन्डे हाथों से,

सर पर हाथ फेरती थीं 

जैसे बालों में अपनी उँगलियों से,

मोती पिरोती थीं 

उफ़..देखो मेरी बेटी 

अभी तक सो रही है 

बेटी उठ जाओ तुम्हें देर हो रही है 

और तुम्हारी चाय ठंडी हो रही है 


सुबह की उस पहली चाय में 

माँ का बेशुमार प्यार झलकता था 

कैसी होगी ज़िन्दगी माँ के बिना 

ये उसने कभी नहीं सोचा था 

एक दिन आया जब माँ

दुनिया में नहीं रहीं 

आँसुओं से भरी आँखों से

ढूंढ रही थी वो उनको हर कहीं 


उम्मीद थी उसे शायद माँ

वापस आ जाएगी 

रह गयी थी जो दास्तां

अधूरी वो पूरी हो जाएगी 

लेकिन सच तो ये था, जिस नींद से 

कोई कभी नहीं उठ पाया 

माँ उस नींद में सो रही है 

अब सुबह कोई नहीं जगाता नींद से 

ना मुझसे माँ पूछेगी अब 

बेटी तू क्यों रो रही है 

अब कोई नहीं है कहने वाला 

तुम्हारी चाय ठंडी हो रही है


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