हो रहा है कैसा आज असर धीरे धीरेइंसानियत उगल रहा जहर धीरे धीरेविवश हो प्रकृत भी प्रलय की आड मेंढा रहा... हो रहा है कैसा आज असर धीरे धीरेइंसानियत उगल रहा जहर धीरे धीरेविवश हो प्रकृत भी प...
करना तुम बर्बाद नहीं, नहीं लौट के आय। करना तुम बर्बाद नहीं, नहीं लौट के आय।
बैचैनी और बेसुक़ूनी बेआरामी बेबसी, मोहब्बत में मिलते हैं बैचैनी और बेसुक़ूनी बेआरामी बेबसी, मोहब्बत में मिलते हैं
अमृत पीकर वो लड़ते हैं, हे ख़ुदा मैं इन इंसानो से, इन हैवानो से हारी हूं अमृत पीकर वो लड़ते हैं, हे ख़ुदा मैं इन इंसानो से, इन हैवानो से हारी हूं
नाम होकर भी ये राही तो बस अंजान लगता है। नाम होकर भी ये राही तो बस अंजान लगता है।
मैं यादों के किसी भी पत्र विहीन जंगल में नहीं घूम सकती। मैं यादों के किसी भी पत्र विहीन जंगल में नहीं घूम सकती।