STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

बेवकूफ हैं हम

बेवकूफ हैं हम

1 min
353

अगर आप ऐसा सोचते हैं

कि बेवकूफ हैं हम

तो बड़ा उत्तम है,

क्योंकि मुझे लगता है

आप मेरे सबसे बड़े शुभचिंतक हैं।

अपने आप मुझसे दूर रहेंगे

साथ ही मेरे सूकून को

संपूर्ण समर्थन देंगे।

यही नहीं आप उनसे तो बड़े अच्छे हैं

जो स्वार्थवश मुझे होशियार समझते हैं

हर समय मेरी महानता, बड़प्पन

और जो गुण मुझमें जन्म से ही नहीं है

उसका भी मक्खन के साथ

दिन रात गुणगान करते हैं।

इतना तक ही रहे तो फर्क नहीं है,

वो तो तारीफों की आड़ में

पीठ में छुरा घोंपने की तलाश में रहते हैं।

हम भी कुछ कम थोड़ी हैं

जितना वे खुद को 

होशियार, समझदार मानते हैं

हम उनसे दो क्या चार कदम 

आगे ही रहते हैं।

उनसे ज्यादा समझदार हैं हम

क्योंकि उनकी होशियारी, समझदारी पर

मायूसी की घास डालते चलते हैं हम,

वे हमें जितना बेवकूफ समझते हैं

उतना ही बेवकूफ उन्हें

रोज रोज बनाते रहते हैं हम।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract