देश के मणि
देश के मणि
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
आज़ हैं हम स्वतंत्र
कल थे परतंत्र
तेहतर साल पहले टूटी थी ज़ंजीरें,
कितने आंदोलन चले
कितने शहीद हुए
कितने फाँसी चढे
कितनों ने दी कुुर्बानियाँँ,
तब टूटी ये परतंंत्र की ज़ंजीरें।
आज़ इस पावन बेला मेंं
आओ देखे झलक उन देश के
फरिश्तों की।
अठारहसों सतावन मेेंं
जन जन में जागृत कर गया
एक अभिलाषा आजादी की
वो था "मंगल पाण्डे"
बोल उठा
"आज आजादी का अर्थ है समझा
लेकर रहेंगेे आजादी वंदे-मातरम।"
फिर आजादी की ऐसीआग उठी
और चन्द्रशेखर आजाद की नसों मेंं
बारूद बन दहक उठी।
"स्वतंत्रता हमारा जन्म -सिद्ध अधिकार है
इसे लेकर ही रहेंगे।" वन्दे-मातरम्"
फिर आजाद की सेना ने
पाया एक अनमोल रतन
नाम था जिसका भगत सिंह
हँसते-हँसते चढ गया फाँसी पर
कराह उठा वतन-
"इंंकलाब जिंंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद "
मेरा रंग दे बसंती चोला
माही रंग दे बसंत चोला।
फिर अंग्रेजों ने दबा ली उँँगली अपने दाँतों तले
जब देेखी आर्मी सुभाष चन्द्र बोस की
देश के सुपुत्र सुुभाष की।
"तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा।"
ये जंग थी आजादी की।
फिर अंग्रेजों का सामना हुआ
एक पतले-दुबले धोती पहने इंसान से,
आज जिन्हें हम बापू हैं कहते
मोहन दास करम चन्द गांधी
"अहिंसा मेरा परम धर्म है
सत्यग्रह मेेरा ओजार
"अंग्रेजों भारत छोड़ो, अंग्रेजों भारत छोड़ो"
नारे लगा,दे दी आजादी हमें
बिना खडग, बिना ढाल।
फिर
आये स्वतंत्र देश के
पहले प्रधानमंत्री -ज्वाहर लाल नेहरू
जिनके कंधों पर था भार भारी
कहते थे
"देशवाासियों आराम हराम है
कर्म ही महान हैै।
बच्चों तुम कल के भारत हो
इसलिए मुझे बहुत प्यारे हो।"
देश उन्नति की राह पर चला ही था
कि चाचा चले गये।
तब धरती-पुत्र
लाल बाहदुर शास्त्र्री् जी ने संंभाली कमान
"जय जवान जय किसान"
का बिग्गूल बजा,
जाग उठा देश महान।
फिर
देश को मिली
पहली महिला प्रधानमंत्री
"इंदिरा गांधी"
जिसने देश को दी एक नयी पहचान।
कहती थी वो
"हमें इतना अनाज उगाना है
खुद भी खाना है, औरों को भी खिलाना है
हमें देश को विकासशील बनाना है।"
फिर देश की स्वतंत्रता को आँच न आये
इसलिए "मिसाइल मैन" अब्दुल कलाम हैं आए।
ए० पी० जे०अब्दुल कलाम
ये शपथ थे लेते
"दो हजार बीस तक देश को
विकसित बना देगें।"
आज भी इन देश के मणियोंं का
मान रख रहे देश के जवान।