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Manju Rani

Romance Tragedy Inspirational

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Manju Rani

Romance Tragedy Inspirational

खाली शीशे की बोतल-सी शादी

खाली शीशे की बोतल-सी शादी

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 खाली शीशे की

 बोतल-सी शादी,

 टूट कर बिखर गई।

 टुकड़े इतने हुए

 उठाने मुश्किल हुए।

 कभी हाथ में चुभते

 कभी पैर में।


 सुताएँ हाथ बटाँने आई

 तो लहूलुहान हो गई।

 उन्हें देख

 हृदय में शूल चुभ गए

 और

 घर के टूटे काँच

 बाहरवाले नहीं उठाते

 खुद ही चुगने पड़ते

 ये हम समझ गए।

 जल्दी-जल्दी उठाने में

 और टुकड़े हो जाते,

 धैर्य से,ध्यान से उठाने।

 पैरों में चुभे काँच

 पहले हैं निकालने।

 वरना धरा होगी लाल,

 धरा होगी लाल

 तो कन्याओं की

 आँखे होंगी लाल

 जो उन्हे वो दर्द देंगी

 जो उन्हें उठने न देगा।

  


 स्वयं ही राह

 सुगम करनी होगी,

 स्वयं ही हृदय को

 शोलों से बचाना होगा

 क्योंकि क्रोध

 विनाश का सूचक,

 व्याकुलता

अशांति की सूचक।


 कंटक, दुर्गम,

 अग्निपथ पर

 लौह पादुका

 पहन चलना होगा।

 न हाथ में चुभे

 न दिल में ,

 कुछ ऐसा

 करना होगा।


 फिर धीरे से

 बुहारना होगा।

 घर को हर कंटक ,

 हर शीशे के टुकड़े से

 रिक्त करना होगा।

अपनी तनयाओं को

 हर राह सुगम बनाना

 सिखाना होगा।


 यह बताना होगा,

 हर विवाह

 एक खाली बोतल नहीं

 यह प्रेम, विश्वास, निष्ठा,

 समर्पण का पर्याय।

 जहाँ संतुलन

 चुम्बक का काम करता।


 जहाँ अपने,

 अपने-अपने

 क्षितिज छूते,

 फिर शाम

 अपने घोंसले में

 अपने चूजों से

 अपनी-अपनी

 कहानी बाँटते।

जीने के राज़ बताते

और एक दूसरे की

 बाहों में सो जाते।


 सुबह चूजों को

 क्षितिज छूना सिखाते

 रिश्तों की सुन्दर

 कहानी बुनते।

 सांसारिक जीवन के

 ये भी हैं सार।

 बताना होगा।

 शादी,

 खाली शीशे की

 बोतल नहीं

 कुछ और भी है

 बताना होगा।


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