जिसको पीकर सीप तृप्त हो, मैं वह एक बूँद बन जाऊँ । जिसको पीकर सीप तृप्त हो, मैं वह एक बूँद बन जाऊँ ।
अकाल से डगमगाते त्रस्त सारे जीव. अकाल से डगमगाते त्रस्त सारे जीव.
चल पड़ा युद्ध भयंकर मन और मस्तिष्क के बीच चल पड़ा युद्ध भयंकर मन और मस्तिष्क के बीच
यादों के दरीचे से झांकती, कुछ अविस्मरणीय लम्हों को, यादों के दरीचे से झांकती, कुछ अविस्मरणीय लम्हों को,
बन सकी न उनकी सहयोगी थी कैसी मेरी लाचारी बन सकी न उनकी सहयोगी थी कैसी मेरी लाचारी
पपीहा कूक कूक देखो प्रेम राग बाँच रहा सावन की और मदमस्त शीतल ये बयार पपीहा कूक कूक देखो प्रेम राग बाँच रहा सावन की और मदमस्त शीतल ये बयार