क्योंकि शायद मैं हूं तुम सबके जीवन का आधार। क्योंकि शायद मैं हूं तुम सबके जीवन का आधार।
इस कलयुगी सृष्टि में कोई और मार्ग नहीं है क्या। इस कलयुगी सृष्टि में कोई और मार्ग नहीं है क्या।
सच की ख़ातिर आज भी, ज़हर पिए सुकरात। सच की ख़ातिर आज भी, ज़हर पिए सुकरात।
घर में जो बना वहीं थाली में लगा उन को समर्पित करो वहीं सही मायने में श्राद्ध है। घर में जो बना वहीं थाली में लगा उन को समर्पित करो वहीं सही मायने में श्र...
तरह तरह के व्यंजन वो खूब मन से बनाती तरह तरह के व्यंजन वो खूब मन से बनाती
आसमान से फरीश्तों को बुला दिया और इस सबको इकट्ठा करके उनको अर्पन कर दिया आसमान से फरीश्तों को बुला दिया और इस सबको इकट्ठा करके उनको अर्पन कर दिया