सच की ख़ातिर आज भी, ज़हर पिए सुकरात। सच की ख़ातिर आज भी, ज़हर पिए सुकरात।
कैसे कर सकते हो यूं निष्कासित बंद कर अपने खिड़की- दरवाज़े कैसे कर सकते हो यूं निष्कासित बंद कर अपने खिड़की- दरवाज़े
कहाँ मिलेगा वैराग्य क्या करना होगा सब त्याज्य क्या बुद्ध बैरागी रहे या यशोधरा कर्तव्यों को साध... कहाँ मिलेगा वैराग्य क्या करना होगा सब त्याज्य क्या बुद्ध बैरागी रहे या यशोधर...
तो क्यों नशे में लिप्त है पीढ़ी ईमान की। तो क्यों नशे में लिप्त है पीढ़ी ईमान की।
ममता की महक पाते थे। अब तो देहरी पर ही, ठिठक जाते हैं कदम, ममता की महक पाते थे। अब तो देहरी पर ही, ठिठक जाते हैं कदम,