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Namita Sunder

Others

2.5  

Namita Sunder

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मैं और चांदनी

मैं और चांदनी

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कैसे भला छोड़ सकते हो 

कुहासे लिपटी चाँदनी को

तुम

यूं निराश्रित ,

कैसे कर सकते हो

यूं निष्कासित

बंद कर अपने खिड़की- दरवाज़े,

मुझे तो अच्छा लगता है

इसमें लिपट

दूर तलक नंगे पाँव चले जाना,


दूधिया निर्झर तले

पंजे के बल खड़े हो

हाथ फैला

गोल चक्कर काटना,

दूर

उस अकेली पहाड़ी पर

पीठ के बल लेट

आहिस्ता आहिस्ता

चाँदनी हो जाना।


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