STORYMIRROR

Namita Sunder

Others

4  

Namita Sunder

Others

पड़ाव जीवन का

पड़ाव जीवन का

1 min
324

आओ

अब लौट चलें

टैक्सी के पीछे छूटा

धूल का गुबार

कब का हो चुका है ग़ायब,

आओ चलें


आयेंगे न वे फिर

अगली छुट्टियों में

फिर सूने दिन होंगे त्योहार

तब तलक करने को इंतजार

आओ, अब लौट चलें


नहीं, क्यों होगा बेरंग

अपना घर

देखो, मैं ले आया हूं

ये ताज़ा तरीन फूल,

इनसे जुड़ी यादें

गयी हो क्या एकदम भूल

सजा कर इन्हें कोने में

हम सुनेंगे

अपने दिनों के गानों का

पुराना रिकार्ड,

घुटनों पर डाल शाल

करेंगे याद

जाड़ों की शामों में

पहाड़ी पर की वह झील ।


नहीं, घर में कैसे होगा

भला सन्नाटा

अब भी

कमरे की हवा में

टकरा रहे होंगे एक दूसरे से

वे बेलौस ठहाके,

लूका- छिपी खेलती

किसी कोने में

दुबकी होगी

जबरन रोकी जा रही हँसी,

चलो तो तुम

राह तक रही होगी अब

देहरी पर की चमेली

आओ,आओ न

अब लौट चलें।



Rate this content
Log in