STORYMIRROR

Namita Sunder

Others

3  

Namita Sunder

Others

चांदनी का बीज

चांदनी का बीज

1 min
13.9K


मेरे भीतर आग

 

दिए की लौ सी

 

लरजती है

 

आतुर

 

रोप आने को

 

हर अमावस्या की कोख में

 

चांदनी का बीज।

  

 

चूल्हे की आंच सी

 

सुलगती है

 

हर सीले कोने में

 

पहुंचाने को गरमाई

 

ममतामयी हथेलियों की।

 

 

 

बुरे दिनों पर

 

प्रार्थना के बोल सी

 

छा जाने को

 

अगरबत्ती की गंध में

 

घुलती है।

 

 

 

राख के ढेर में दबी

 

नन्हीं चिंगारी सी

 

है ये आग

 

जो

 

मौका पड़ने पर

 

मशाल सी दहकती है।

 

 

 

हां

 

यह भीतर की आग

 

हर पल

 

उजाले का एक

 

नया अध्याय रचती है।


Rate this content
Log in