लूटा है फिर सबने मिलकर ना समझ ही पाए, बलिदान को मेरे। लूटा है फिर सबने मिलकर ना समझ ही पाए, बलिदान को मेरे।
हक उतना रखो जितना साथी इजाज़त दे तुम्हें, हक उतना रखो जितना साथी इजाज़त दे तुम्हें,
क्यूँ खींच लेती है ज़िंदगी अपनी बंदिशो के दायरे में हमें ? क्यूँ खींच लेती है ज़िंदगी अपनी बंदिशो के दायरे में हमें ?
आईना भी अपना ही अक्स ढूँढता फिर रहा कौन राह थी वो जहां नज़र दौड़ी नहीं आईना भी अपना ही अक्स ढूँढता फिर रहा कौन राह थी वो जहां नज़र दौड़ी नहीं
ना तुम मिले न तुम्हारा इशक नसीब हुआ किस्सा यूँ प्यार का हमारे दफ़न हुआ ! ना तुम मिले न तुम्हारा इशक नसीब हुआ किस्सा यूँ प्यार का हमारे दफ़न हुआ !
अक्सर ही अपने सवालो घिर जाता हूँ मैं अपने ही दायरे में बंध के रह जाता हूँ मैं अक्सर ही अपने सवालो घिर जाता हूँ मैं अपने ही दायरे में बंध के रह जाता हूँ मै...