कड़ी
कड़ी
उम्मीद जो बंधी आपसे
आपने वो तोड़ी नहीं
यह अलहदा बात है
कभी कड़ी जोड़ी नहीं
ज़िस्म नहीं मिलता जहां
रूह के दायरे से पार
कोई नज़र ऐसी कहीं
हमने भी छोड़ी नहीं
आईना भी अपना ही
अक्स ढूँढता फिर रहा
कौन राह थी वो
जहां नज़र दौड़ी नहीं
तुम नहीं आप से
रूबरू हुए ज़ज़्बात थे
हमने दाँव पर ज़िन्दगी
दी ज़नाब
कोई अदद कौड़ी नहीं..
उम्मीद जो बंधी आपसे
आपने वो तोड़ी नहीं ...