वृद्ध दंपति के जीवन का सफर
वृद्ध दंपति के जीवन का सफर
हम दोनो गुजार दिए समय कितने
गुजार दिए दुख और दुख भी उतने
पर तुमने कभी कोई शिकायत की नहीं
पर मैने भी कोई शिकायत की नहीं
साथ जीने मरने की कसमें खाई थी की नहीं ।।
आज तुम बोलती हो अजी !
अब साथ निभा नहीं पाऊंगी
अब तुम बोलती हो अजी !
अपना देखभाल करना
मेरे जाने के गम में आंसू न बहाना
ये तो मेरी खुशनसीबी है की
आपके कंधे पे मैं जाऊंगी है की नहीं
मत जाओ पहले, तुमने
साथ जीने मरने की कसमें खाई थी की नहीं।।
मैं तुम्हे पहले जाने नहीं दूंगा
अपने से दूर होने नहीं दूंगा
जीवन का हर सफर गुजारा है
साथ में हमने
नदी का एक किनारा तुम
दूसरा किनारा खुद को बनने नहीं दूंगा
साथ मेरा छोड़ जाओ मत
आंखे खोलोगी की नहीं
साथ जीने मरने की कसमें खाई थी की नहीं।।
तुम चली जायेगी तो मेरे आने का
इंतजार करेगा कौन
तुम चली जायेगी तो साथ
खाना खायेगा कौन
तुम्हारे बिन अकेला हो जाऊंगा मैं
तुम मेरा सबसे ज्यादा ख्याल रखती थी की नहीं
साथ जीने मरने की कसमें खाई थी की नहीं।।
अरे अरे ये क्या हो गया
कुछ बोलती क्यू नहीं हो
तुम्हारे सामने मै हूँ बैठा
तुम मुझे देखती क्यू नहीं हो
कुछ देर पहले तो सांस ले रही थी
अब सांस भी नहीं क्यू ले रही हो
अकेले अकेले क्यू चली गई
साथ जीने मरने की कसमें खाई थी की नहीं।
मुझमें हिम्मत नहीं है की तुझे
अपने कंधो पे उठा पाऊं
मुझमें हिम्मत नहीं है की तुझे
अपने से अलग कर पाऊं
मैं भी आ रहा हूँ अब
साथ में था जिया, मरूंगा
अब साथ में है की नहीं
रुको मैं भी आ रहा हूँ
साथ में जीने मरने की कसमें खाई थी की नहींं।।
