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Satyendra Gupta

Romance

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Satyendra Gupta

Romance

देखा है जब से मैंने तुझको

देखा है जब से मैंने तुझको

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देखा है जब से मैंने तुझको

लगता है जैसे कि देखता ही रहुं मैं

दिल की जो बातें है मेरी

तुझको तो बस बताता ही रहुं मैं ।


सारे जग से न्यारी तुम लगती हो

सारे जग से प्यारी तुम लगती हो

क्या है तुममें ना जानो तुम

मुझको तो मन से ही तुम भाती हो।


देखा है जब से मैंने तुझको

लगता है जैसे की देखता ही रहुं मैं

दिल की जो बातें है मेरी

तुझको तो बस बताता ही रहुं मैं ।


तेरी मधुर आवाज दिल को है भाती

तेरी आवाज सुनने को है दिल तरसती

जैसे ही कुछ तुम बोलती हो

मन की तरंगे उमड़ने लगती है।


देखा है जब से मैंने तुझको

लगता है जैसे की देखता ही रहुं मैं

दिल की जो बातें है मेरी

तुझको तो बस बताता ही रहुं मैं ।


जब आती हो पास तुम मेरे

दुनिया को तो मैं भूल जाता हूं

साथ रहुं मैं हमेशा ही तेरे

चित को बहुत ही सुकून मिल जाता।


देखा है जब से मैंने तुझको

लगता है जैसे की देखता ही रहुं मैं

दिल की जो बातें है मेरी

तुझको तो बस बताता ही रहुं मैं ।


कब बनोगी जीवन संगिनी मेरी

बार बार में ये ख्याल आ जाता

तेरे लिए तो  मैं जग ही भूल जाऊ

मन को मैं कैसे समझा नही पाता।


देखा है जब से मैंने तुझको

लगता है जैसे की देखता ही रहुं मैं

दिल की जो बातें है मेरी

तुझको तो बस बताता ही रहुं मैं ।



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