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Satyendra Gupta

Abstract

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Satyendra Gupta

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चुप रहना ही अच्छा है

चुप रहना ही अच्छा है

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चुप रहना ही अच्छा है

जब मन में आ जाए क्रोध

जब अपनो का हो करना विरोध

चुप रहना ही अच्छा है ।


जब दिल गवाही ना दे कुछ कहने को

मन हो बैठकर बस केवल रोने को

अपने जलन वश बुराई लगे करने को

चुप रहना ही अच्छा है ।


कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं

आपकी कोई बात मानने को अख्तियार नहीं

अच्छी बातों को भी सुनने से कर दे इनकार

भला बुरा बोलकर कर दे तिरस्कार

चुप रहना ही अच्छा है ।


चुप रहना भी एक तरह का हथियार है

चुप रहकर जवाब देने वाला ही होशियार है

कामयाबी शोर करके नहीं 

चुप रहने से भी मिल जाती है

जब लगे की बोलने से बात बिगड़ जाएगी

चुप रहना ही अच्छा है।


महापुरुष की बात सुनने और सीखने को

चुप रहना ही अच्छा है।

अच्छा बनने और अच्छा करने को

चुप रहना ही अच्छा है।

जीवन में केवल तूफान ही तूफान हो

तब चुप रहना ही अच्छा है।

जब जवाब देने से जीवन हो जाए बदहाल

तब चुप रहना ही अच्छा है।


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