दिल की आवाज
दिल की आवाज
अब आई हो , क्यू आई हो
शादी हुई थी ना हमारी
सातों वचन निभाने की कसमें थी ना हमारी
फिर क्यू छोड़कर चली गई थी
जाते समय क्यू एक बार भी नहीं सोची थी
बुरे समय में साथ चाहिए था तुम्हारा
तो साथ छोड़कर क्यू चली गई थी।
मेरा कुसूर क्या था , सिर्फ इतना
की मेरी नौकरी चली गई
मेरा कुसूर क्या था , सिर्फ इतना
की मैं लाचार हो गया था
मेरा कुसूर क्या था, सिर्फ इतना
की तुम्हें पहले जैसा पैसे नहीं थे
मेरी हिम्मत बढ़ाने के बजाए
अंधकार में बेसहारा छोड़ चली गई
क्या तुम्हारा यही धर्म था
क्या तुम्हारा यही कर्म था।
तुम्हारे जाने के बाद था हो गया अकेला
क्या करूँ क्या ना करूँ,
सोचकर पागल हो रहा था
दिल रोकर घायल हो रहा था
किसी ने सच कहा है
विपत्ति आने पर अपना साया भी
साथ छोड़ देता है
तुमने परायापन दिखा ही दिया
दुख में अकेलापन कर ही दिया।
तुम्हारे जाने के बाद दो महीने घर से निकला ही नहीं
किसी को अपना चेहरा दिखाया ही नहीं
शायद सबने सोचा होगा कि मर गया
जिंदगी की जंग हार गया
पर मैंने दो महीनों में वो ज्ञान अर्जित किया
अ
पने आप को सीखने में खुद को अर्पित किया
आज मेरे पास क्या कमी है
कमी तो नहीं बस आंखों में नमी है।
दो साल बाद आई हो
शायद किस हाल में हूँ वो देखने आई हो
चाहता तो दूसरी शादी कर लेता
लेकिन सच्चा प्रेम तो तुझमें था
शरीर तो मेरे पास लेकिन आत्मा तुझमें था
ये आंसू मेरे नहीं जो मेरी आंखों से बह रहे है
ये आंसू भी तुम्हारे है ,तुम्हें देखकर निकल रहे है
बोलो तुम्हें अब क्या चाहिए
बंगला , मोटर, धन दौलत
सब है मेरे पास
सब तुम्हारा है क्युकी तुम नहीं हो मेरे पास।
मैं मायके के बहकावे में आ गई थी
आज उन्होंने मुझे अकेला छोड़ दिया
अपना से मुझे पराया कर दिया
मेरी गलती की मुझे सजा मिल गई
मुझे धन दौलत नहीं
मुझे वही सत्येंद्र चाहिए जो पहले था
मुझे माफ कर दो
थोड़ी सी अपने दिल में जगह दे दो
वही मेरे लिए बंगला होगा
मुझे तुम्हारे साथ चलने की अनुमति दे दो
वही मेरे लिए मोटर कार होगा।
चल पगली अब और रुलाएगी क्या
आओ मेरे हृदय से लग जाओ
चल पगली और तड़पाओगी क्या
तुम्हारे जाने से ही मैंने सब कुछ पाया
तुम्हारे ठुकराने से ही धनी हो पाया