***बात मन की***
***बात मन की***
दिल ना कोई टुटा न ही उजड़ा चाहिए
हमे प्यार के गुलों से ही सँवरा चाहिए।
मिलती नहीं कही भी तो टूटे दिल की दवा
बस साथ चल सके एक हमनवां चाहिए।
दिल में बिठा के सारे ही दर बंद कर लूँगी
तुझे देखने के लिए एक झरोख़ा चाहिए।
इतनी हैरत हैं तुम्हें ही पाने की किसलिए
तमन्ना हैं दिल में प्यार और गहरा चाहिए।
तक़दीर क्या मेरी भी कभी बदल पायेगी
बस चाँद पर "नीतू" के लिए सहरा चाहिए।
गिरह
ये बात मन कभी न कभी तो कह ही देगा
हाथों में तेरा हाथ हो बस इतना चाहिए।

