जुनून की हद
जुनून की हद
जुनून की हद तुम्हें तय करता हूँ।
नाक की नथ तो सामने है,
कानों में छुपे झुमकों से इश्क़ करता हूँ।
तुम सामने हो ,लबों पर खामोशी आती है।
धीरे धीरे फिर यूँ आंखों से शरारत करता हूँ।
वफ़ा बेवफ़ा तो जमाना तय करता है।
मैं तो बस जुनून की हद तक तुम्हें मोहब्बत करता हूँ।
रुकना तो सोच लेना ।
छोड़ता नहीं मैं, गर बांहों में भरता हूं।
आदतन तुम धीरे धीरे सो जाया करती हो।
सारी सारी रात मैं तुम्हें देखा करता हूँ।