STORYMIRROR

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Inspirational

3  

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Inspirational

शालिनी छंद...

शालिनी छंद...

1 min
225

दात्री धात्री, मात अम्बा भवानी ।

आर्या भार्या, हे जया मॉं शिवानी ।।

स्नेही वामा, हे सुता की जनानी ।

प्यारी माता, प्यार की है मुहानी ।।


आंसू सारे, नीर सी क्यों बहानी ।

ज्ञानी मानी, प्रेम को आजमानी ।।

गाओ उन्हें, प्रीत ही है सुहानी ।

होती पूरी, आज की ये कहानी ।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract