माॅं
माॅं
कि इंसानियत लहुलुहान हो गई इंसानी जात पर।
बच्चे इकट्ठे आ बैठे मरती मॉं के खाट पर ।।
लड़ाई थी इस बात की,कि किसको कितना हक मिले,
और मरे मॉं की चिता न जल सकी श्मशान घाट पर ।।
कि इंसानियत लहुलुहान हो गई इंसानी जात पर।
बच्चे इकट्ठे आ बैठे मरती मॉं के खाट पर ।।
लड़ाई थी इस बात की,कि किसको कितना हक मिले,
और मरे मॉं की चिता न जल सकी श्मशान घाट पर ।।