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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Action Inspirational Thriller

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Action Inspirational Thriller

लक्ष्मीबाई

लक्ष्मीबाई

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भारत मां को अंग्रेजों ने जकड़ा,कैसी व्यथा दुखदायी थी।

जन-जन में हाहाकार मचा आंखों ने आंसू छलकाई थी।।

पुरुषों को लड़ते देखा तो इक बच्ची ने तलवार उठाई थी।

आओ उसको याद करें जो झांसी की रानी लक्ष्मीबाई थी।।


बालविवाह के प्रथाकाल में राजा गंगाधर से बिहाई थी।

तात्याटोपे से राजपाठ सीख ज्ञान की अलख जगाई थी।।

चार माह बाद पति मरे तो झांसी पे आफत घिर आई थी।

पर बिना झिझक के जिसने साहस से बेड़ा उठाई थी।।

आओ उसको याद करें जो.....


झांसी ऐसी क्षेत्र जहां अंग्रेजों का आना जाना हुआ।

मानो लालच में फिर फूट डालने का ताना बाना हुआ।

अपनों से अपने लड़े तब सबको वही समझाई थी।

 राज्य बचाने जो पुत्र लादकर घोड़े में कूदके आई थी।।

आओ उसको याद करें जो..... 


पर अंग्रेजों की संख्या ज्यादा,वो अकेली क्या करती।

लड़ते लड़ते प्राण त्याग दी आखिर आहें कैसे भरती।।

कैसा दृश्य जो काली बन अंग्रेजों के खून से नहायी थी।

अपने को कमजोर न समझो मरते मरते यही सिखाई थी।।

 आओ उसको याद करें जो.....

 आओ उसको याद करें जो.....


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