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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Classics Fantasy

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Classics Fantasy

देशप्रेम-पंचचामर

देशप्रेम-पंचचामर

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दवात तीक्त आग को चलो सभी उड़ेल दो।

कि स्याह देशद्रोह को कुचेल दो नकेल दो।।

कि एकलव्य लक्ष्य को वही दिव्य गुलेल दो।

कि पूज्य मात भारती पटेल दो पटेल दो।।


सदा बहाव रक्त में जमाव हो असत्य का।

घिराव घेर व्यूह में घुमाव हो असत्य का।।

प्रवाह सत्य तीव्र हो रुकाव है असत्य का।

अमित्र यत्र तत्र में झुकाव है असत्य का।।


लिखूॅं सदैव सत्य को सुकंठ औ कुठार दो।

कुपाप ग्रीव काट देत खड्ग को उधार दो।।

रहे न मौन जो सुसुप्त पौन को पुकार दो। 

समेट लेख सत्य का कि लेखनी सुधार दो।।


अशब

्द वो कुभाव युक्त पेज को हि फाड़ दो।

भरे घड़ा कुपाप जो वही घड़ा लताड़ दो।।

सतर्क हो जरासुतों, भुजा-भुजा उखाड़ दो।

मरे नहीं डरे नहीं चलो जमीन गाड़ दो।।


बहे लिखे हरेक बूॅंद स्याहियों सुनो -सुनो।

हिरण्य के सभी हिरण्यवाहियों सुनो-सुनो।।

कि कुष्ठ ग्रस्त अस्त पस्त व्याधियों सुनो-सुनो।

प्रभंजनी प्रवेगपात ऑंधियों सुनो-सुनो।।


कि छद्म भाव से भिडंत युद्ध-युद्ध ना रहे।

पढ़ो-पढ़ो यथार्थ को अतीत शुद्ध ना रहे।।

सुधर्म न्याय में अभी प्रबुद्ध बुद्ध ना रहे।

मिलावटें सर्वत्र रक्त-रक्त शुद्ध ना रहे।।


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