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सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

Classics

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सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "

Classics

ज़रा जी लें

ज़रा जी लें

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ख़बर जाकर कौन शहर की लें 

उधर की लें या इधर की लें 

कभी ख़ुशी तो कभी ग़म पी लें 


अपने हिस्से की ज़िन्दगी जी लें 

सब्र करना जबसे आने लगा है, 

हँसी की बात हो तो हँस भी लें 


आसमां,चाँद-तारे सोने नहीं देंगे, 

खोलके एल्बम तब देख ही लें 

अदना कमीज़ फट गया तो क्या, 


धोकर उसे जरा रफू-सीं ही लें 

भाषण नेता के बड़े सुने चावकर, 

अब भंडारे में जमकर खा-पी लें 


तूने क्या कह दिया, वो रूठ गया, 

"उड़ता" जा उससे मांग माफ़ी लें।


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