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AKIB JAVED

Romance Tragedy Classics

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AKIB JAVED

Romance Tragedy Classics

तेरी ही लगन

तेरी ही लगन

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तेरी ही लगन अब लगी है फ़क़त

मेरे दिल में तेरी कमी है फ़क़त


नज़र में है मेरे तेरी सादगी

तू ही अब मेरी ज़िन्दगी है फ़क़त


मुझें भूल जाती है अक्सर वो क्या

या पलभर की नाराजगी है फ़क़त


उसे छोड़ के ज़िन्दगी में मेरे

बची अब ये आवारगी है फ़क़त


ग़ज़ल की है वो काफ़िया भी मेरी

सजी उससे ही शायरी है फ़क़त।


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